एक गांव में एक वृद्ध सरपंच रहते थे। बड़े बड़े झगड़ों को वे चुटकियों में सुलझा देते थे। जिसके कारण दूर दूर से लोग उनसे फैसला करवाने आते थे। सरपंचजी अपनी बुद्धिमत्ता के लिए काफी प्रसिद्ध हो चुके थे। एक बार दूर के गांव के कुछ लोग किसी झगड़े के विषय में उनसे सलाह लेने आये। ये लोग न तो सरपंच जी को जानते थे, न ही उनके मकान को जानते थे। गांव के पास पहुंचकर उन्होंने पास के खेत में काम कर रहे चार नवयुवकों से सरपंच जी का पता पूछा। उनमें से एक नवयुवक बोला, ” सरपंचजी का घर तो इसी गांव में है। लेकिन वे अब कुछ बोलते और समझते नहीं। उनके पास जाने से कोई फायदा नहीं।” उन लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्हें टौ बताया गया था कि सरपंचजी पूरी तरह स्वस्थ और सकुशल हैं। उन्होंने विचार किया कि अब यहां तक आ गए हैं तो मिलकर ही जायेंगे। वे आगे बढ़ गए। गांव में प्रवेश करने पर एक कुएं पर चार औरतें पानी भर रही थीं। उन्होंने उन औरतों से सरपंचजी का पता पूछा तो उनमें से एक बोली, “घर तो सामने ही है पर उनको कुछ दिखता नहीं है।” वे लोग असमंजस में पड़ गए। दो जगह उन्होंने पता पूछा और दोनों जगह अलग अलग उत्तर मिला। वे घर के सामने पहुंचे ...
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