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हिंदी कहानियां (3-7) Hindi stories

 3- क्या अच्छा क्या बुरा- Short Story in Hindi

very short story in hindi
very short story in hindi

चीन के गांव में एक किसान था। उसका कहना था कि ईश्वर जो भी करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं। एक दिन उसका घोड़ा रस्सी तुड़ाकर जंगल की ओर भाग गया। इस पर उसके पड़ोसियों ने आकर दुख जताया। लेकिन किसान शांत रहा।

दो दिन बाद किसान का घोड़ा वापस आ गया और अपने साथ तीन जंगली घोड़े और लाया। लोगों ने आकर ख़ुशी प्रकट की। लेकिन किसान शांत रहा। दो दिन बाद उन्हीं में से एक जंगली घोड़े की सवारी करते समय उसका पुत्र गिर गया। उसकी एक टांग टूट गयी। पड़ोसियों ने फिर आकर अफसोस प्रगट किया। लेकिन किसान फिर भी शांत ही रहा।

अगले दिन राजा की सेना के लोग गांव आये और गांव के नौजवानों को जबरदस्ती सेना में भर्ती करने लगे। किसान का लड़का पैर टूट होने की वजह से बच गया।

हममें से कोई नहीं जानता कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा? इसलिए ईश्वर जो करते है, हमें उसे अपने लिए अच्छा ही मानना चाहिए।

Moral of Story- सीख

हमेशा ईश्वर के निर्णय को उदारतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए। वे कभी किसी का बुरा नहीं करते।

4- नम्र बनो, कठोर नहीं# very short story in hindi

एक संत मृत्युशैया पर थे। उन्होंने अपने शिष्यों को अंतिम उपदेश के लिए अपने पास बुलाया। उन्होंने शिष्यों से कहा, “जरा मेरे मुंह में देखो कितने दांत शेष बचे हैं? शिष्यों ने बताया “महाराज आपके दांत तो कई वर्ष पहले ही टूट चुके हैं। अब तो एक भी नही बचे।

संत ने कहा, ” अच्छा देखो जीभ है या वह भी नहीं है।” शिष्यों ने बताया कि जीभ तो है। तब उन्होंने शिष्यों से पूछा, ” यह तो बड़े आश्चर्य का विषय है जीभ तो दांतों से पहले से ही मौजूद है। दांत तो बाद में आये थे। जो बाद में आये उनको बाद में जाना भी चाहिए था। फिर ये पहले कैसे चले गए?

शिष्यों के पास कोई उत्तर नहीं था। तब संत बोले, ” ऐसा इसलिए क्योंकि जीभ बहुत मुलायम अर्थात विनम्र है, इसलिए अभी तक मौजूद है। जबकि दांत बहुत कठोर थे। इसलिए पहले चले गए।”

अगर इस संसार में अधिक समय तक रहना है तो नम्र बनो, कठोर नहीं।

Moral of Story- सीख

विनम्रता मनुष्य को बड़ा और महान बना देती है।

5- इच्छाओं का बंधन#small short stories with moral values in hindi

एक बार एक सूफी संत अपने शिष्यों के साथ बाजार से जा रहे थे। उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति एक गाय गाय की रस्सी पकड़े चला जा रहा है। उन्होंने उसको रोक लिया और अपने शिष्यों से पूछा कि बताओ कौन किसके साथ बंधा है? शिष्यों ने तुरंत उत्तर दिया कि गाय बंधी है इस आदमी के साथ।

यह जहां चाहे गाय को ले जा सकता है। इस पर सूफी संत ने झोले से कैंची निकालकर गाय की रस्सी काट दी। रस्सी के कटते ही गाय तेजी से भाग चली। उसके मालिक ने दौड़कर बड़ी मुश्किल से उसे पकड़ा। संत ने अपने शिष्यों को समझाया कि वास्तव में यह व्यक्ति ही गाय से बंधा है। गाय की इसमें कोई रुचि नहीं है। इसीलिए रस्सी कटते ही वह भाग गई।

सी प्रकार हम भी अपनी इच्छाओं की डोर से बंधे हैं और समझते हैं कि हम आजाद हैं।

Moral of Story- सीख

सांसारिक वस्तुओं से अधिक मोह नहीं करना चाहिए।

6- कर्म करो# a short story in hindi

.एक लकड़हारा रोज जंगल लकड़ी काटने जाता था। वहां उसे रोज एक अपाहिज लंगड़ी लोमड़ी दिखाई पड़ती थी। वह सोचता जंगल में इसे भोजन कैसे प्राप्त होता होगा? जबकि यह शिकार भी नहीं कर सकती। एक दिन उसने सोचा कि आज मैं पता लगाऊंगा की यह जीवित कैसे है? लकड़हारा उसी के पास के एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया।

थोड़ी देर बाद उसने देखा कि एक शेर अपना शिकार लेकर आया और वहीं पास की एक झाड़ी में बैठकर खाने लगा। पेट भर जाने के बाद शेष शिकार को वह वहीं छोड़ कर चला गया। उस बचे हुए शिकार से लोमड़ी ने अपना पेट भर लिया। यह देखकर लकड़हारे ने सोचा कि मैं व्यर्थ ही भोजन के लिए इतनी मेहनत करता हूँ।

जब भगवान इस अपाहिज लोमड़ी का पेट भरते हैं। तो मेरा क्यों नहीं भरेंगे? यह सोचकर लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी नीचे फेंक दी। उसने वही पेड़ के नीचे अपना आसन जमा लिया और भोजन का इंतजार करने लगा। कई दिन बीत गए, लेकिन कोई उसके लिए भोजन लेकर नहीं आया।

वह भूख से इतना कमजोर हो गया कि चलने फिरने में भी असमर्थ हो गया। लेकिन उसका विश्वास दृढ़ था। तभी उसे एक आवाज सुनाई दी। “अरे मूर्ख! तुझे अपाहिज लोमड़ी ही दिखाई दी। कर्मरत वह शेर नहीं दिखाई दिया। अनुशरण ही करना है तो शेर का क्यों नहीं करता? जो स्वयं का पेट तो भरता ही है, साथ ही इस अपाहिज लोमड़ी का भी पेट भरता है।”

यह सुनकर लकड़हारे को अपनी गलती का अहसास हो गया।

Moral of Story- सीख

इस संसार में कर्म किए बिना कुछ नहीं मिलता।

7- ईश्वर की मृत्यु-Short Moral Stories in Hindi

इंग्लैंड में एक धर्मनिष्ठ दंपति निवास करते थे। एक बार पति को व्यवसाय में घाटा लग गया। वह हमेशा इसी चिंता में लगे रहते थे। खाना पीना, घर परिवार सब में उनकी रुचि समाप्त हो गयी। चौबीसों घंटे वे बस एक ही चिंता में डूबे रहते।

उनकी पत्नी बुद्धिमान और धर्मपरायण थीं। उन्होंने पति को इस परिस्थिति से निकालने के लिए एक उपाय किया। वहां पर काले कपड़े किसी की मृत्यु होने पर पहने जाते थे। अगले दिन उनकी पत्नी काले कपड़े पहन कर अपने पति के सामने गयीं। पत्नी को काले कपड़े में देखकर पति ने पूछा कि किसकी मृत्यु हो गयी?

पत्नी ने जवाब दिया कि ईश्वर की मृत्यु हो गयी है। पति ने कहा कि यह कैसे संभव है? तुम ऐसा क्यों कह रही हो? तब पत्नी ने उत्तर दिया, “आपके व्यवहार से मुझे ऐसा ही लगता है। क्योंकि जब ईश्वर ही सबका पालन पोषण करता है।

हर सुख दुख से ईश्वर ही निकालता है। तो हमें चिंता की क्या जरूरत? लेकिन आप अपने व्यापार को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं। इससे मुझे लगा कि शायद ईश्वर की मृत्यु हो गई है। तभी आप इतना चिंतित हैं।”

पत्नी का जवाब सुनकर पति की आंखें खुल गईं और उसने सारा भार ईश्वर पर छोड़ दिया।

Moral of Story- सीख

कठिनाइयों में भी धैर्य रखना चाहिए। ईश्वर सबकी मदद करते हैं।